महिला स्वास्थ्य-Women's Health in hindi
महिलाओं और पुरुषों की स्वास्थ्य संबंधित समस्या एक दूसरे से अलग होती हैंI ऐसे में दोनों को होने वाली बीमारियां और उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव ही अलग होते हैंI लेकिन सवाल यह है कि आखिर दोनों की स्वास्थ्य समस्याएं विपरीत क्यों हैं? दुनिया में सभी बीमारियों का प्रभाव पुरुषों और महिलाओं पर अलग-अलग तरीके से दिखता हैI
मासिक धर्म, गर्भावस्था, प्रसव और रजोनिवृत्ति, महिलाओं के जीवन का हिस्सा है, जो उन्हें पुरुषों से अलग बनाती है, ऐसे में उनकी बीमारियां और शरीर पर पड़ने वाला इसका प्रभाव भी अलग होता हैI कई ऐसी बीमारियां भी हैं जो सिर्फ महिलाओं को प्रभावित करती हैंI
दुनिया के अधिकांश हिस्सों और संस्कृतियों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की सामाजिक स्थिति थोड़ी हल्की हैI यही वजह है कि महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी समस्या, उनके उपचार और देखभाल पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गयाI बढ़ता गया, लेकिन महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में बहुत ज्यादा सुधार नहीं है और सब काI इसकी वजह से वह देखभाल का शिकार होती रहीI यही वजह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ और दुनिया के सभी देशो लैंडिंग समानता असमानता को दूर करने के साथ महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने के उपाय कर रही हैI
1. महिलाओं के स्वास्थ्य सुधार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत क्यों?
2. विशेष रूप से महिलाओं को प्रभावित करने वाली बीमारियां
3 पुरुषों की तुलना में महिलाओं को विशेष प्रभावित करने वाली बीमारियां
4. महिला स्वास्थ्य के चुनौतीपूर्ण कारण
4. महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी
महिलाओं के स्वास्थ्य सुधार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत क्यों?
संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक दुनिया की कुल आबादी का 49.6 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं का हैI साल 2011 मैं हेल्थ केयर ईमेल इंटरनेशनल जनरल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है की दुनिया के श्रम विभाग में महिलाओं की दो तिहाई हिस्सेदारी है, लेकिन इसके विपरीत उनकी आमदनी कुल आय की केवल 10 फ़ीसदी ही हैI इस डाटा में घरेलू कामकाज में लगी महिलाओं को शामिल नहीं किया गया हैI
दुनिया की आबादी का इतना बड़ा हिस्सा होने और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने के बावजूद महिलाओं को उस प्रकार से स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं नहीं मिल पाए, जिनकी वे वास्तविक हकदार थीI
महिला और पुरुष व्यावहारिक और शारीरिक दृष्टि से अलग हैंI इसका अर्थ है कि महिलाओं की आवश्यकता को कई सामाजिक पहलुओं पर 1 साइज़ फिट ऑल के आधार पर नहीं किया जा सकता हैI
महिलाओं के स्वास्थ्य के मुद्दों को बेहतर तरीके से समझा जाना चाहिए, क्योंकि उनका अच्छा स्वास्थ्य मनुष्यों की अलग पीढ़ी की निर्माण मैं महेशपुर भूमिका निभाती हैI
महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है, खासकर तब तक पुरुषों से इधर महिलाओं को विशेष रूप से कई समस्याओं का सामना करना पड़ता हैI
विशेष रूप से महिलाओं को प्रभावित करने वाली बीमारियां
पुरुषों की तुलना में महिलाओं का स्वास्थ्य और उनकी आवश्यकताएं अलग होती हैंI मासिक धर्म, गर्भावस्था, प्रसव और राज ने मित्र जैसे जैविक चरणों का अनुभव कर वह कई प्रकार की स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करती हैंI नीचे दी गई वह समस्या है, जिनका सामना अकेले महिलाओं को करना पड़ता हैI
. स्त्री रोग संबंधी स्वास्थ्य समस्याएं जैसे- अनियमित पीरियड, बैक्टीरियल bajnosis, पीसीओएस, एंडोमेट्रियोसिस, एडिनोमायोसिस, यूपी राय हाई ब्राइट और भुल्बोडिया जैसे विकारI
. गर्भावस्था से संबंधित समस्या जैसी प्रसव के बाद भी देखभाल गर्भपात, समय से पहले बच्चे का जन्म, सिजेरियन सेक्शन, जन्म दोष, स्तनपान समस्या और प्रसव के बाद आवास की अवस्था
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को विशेष प्रभावित करने वाली बीमारियां
ऐसे कई बीमारियां हैं जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकती हैं, लेकिन इसका महिला पर होने वाला असर अलग तरीके का होता हैI इन मामलों में दोनों के लक्षण में समानता हो सकती है, लेकिन उसके उपचार और बीमारी से उबरने के लिए देखभाल और आवश्यक परिस्थितियां अलग होती हैंI निम्नलिखित बीमारियां महिलाओं को अलग रूप से प्रभावित करती हैंI
. शराब की आदत का प्रभाव पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर अधिक बढ़ता है. शराब की हड़ताल के चलते उनमें, स्तन कैंसर, दिल संबंधी रोग, और ब्रॉड के एल्कोहल सिंड्रोम पीने की आदत है शिशुओं से मस्ती को छुट्टी पहुंचता सकती है
. हजारों पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से प्रभावित करते हैं, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं में दिल का दौरा पड़ने से मौत की आशंका अधिक रहती हैI
. पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अवसाद और चिंता होने की समस्या अधिक होती है, प्रसव के बाद अब साधु का डर महिलाओं से अधिक रहता हैI
. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में गठिया की समस्या होने का खतरा अधिक रहता हैI
. संचारित रोग पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करते हैं, लेकिन उपचार में देरी से इस महिलाओं में बांझपन हो सकता है महिलाओं में इसके लक्षण कई बार बहुत स्पष्ट नजर नहीं आते हैं, जिनके चलते उनका उपचार नहीं हो पाता हैI
. अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के एक सर्वेक्षण के अनुसार, महिलाओं में तनाव बढ़ रहा है और जिससे उनमें बालपन होने का खतरा अधिक रहता हैI
. पुरुषों की तुलना में महिलाएं स्ट्रोक का शिकार ज्यादा होती हैI ऐसा इसलिए है कि क्योंकि यह स्ट्रोक का प्रमुख कारण पर वहां वारिक इतिहास, हाई ब्लड प्रेशर और, हाई कोलेस्ट्रॉल होता है वही गर्भनिरोधक दवा हार्मोन सिर्फ रिप्लेसमेंट एपी और गर्भावस्था के चलते महिलाओं में यह खतरा बढ़ जाता हैI
पंजाब के तरीके के चलते पुरुषों की तुलना में महिलाओं को मूत्र मार्ग संक्रमण होने का खतरा अधिक रहता हैI
महिला स्वास्थ्य के चुनौतीपूर्ण कारण
भले ही दुनिया की आधी आबादी महिलाओं की हो, फिर भी भारत सहित कई देश में उनकी स्वास्थ्य के मुद्दों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा हैI निम्नलिखित वायरस इस स्थिति को उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार हूं
. सामाजिक संस्कृति कारण
विश्व के अधिकांश हिस्सों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को वह सामाजिक अधिक अधिकार नहीं मिल सके, जो मिलने चाहिए थे इस लिंग असमानता ने महिलाओं की शिक्षा, आर्थिक सामाजिक स्वतंत्रता और स्वास्थ्य सेवाओं को कमजोर बनाया हैI दुनिया के कई हिस्से में महिलाओं को अकेले यात्रा करने, स्वास्थ्य के लिए भी दूसरों पर आश्रित रहने रहने, यहां तक कि परिवार नियोजन के मामलों में भी अपने पक्ष को रखें का अधिकार नहीं हैI समाज में लड़के को प्राथमिकता देने के चलते न केवल कन्या भ्रूण हत्या और शिशु हत्या बड़ी है साथ ही स्वच्छता पोषण के मामले में महिलाएं अजीवन उपेक्षा का अधिकार भी रही हैI
आर्थिक कारण
यूनाइटेड नेशनल वूमेन और विश्व बैंक द्वारा 2013 में जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में गरीबी से जूझ रहे 667 मिलियन(76.7)करोड़ लोगों में एक बड़ा हिस्सा महिलाओं और बच्चों का हैI गरीबी का सौदा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ता हैI इसके अतिरिक्त 2011 में हेल्थ केयर वूमेन इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, काम के घंटों में दुनिया में दो तिहाई हिस्सेदारी रखने वाली महिलाएं आर्थिक रूप से कुल आय का सिर्फ 10 फ़ीसदी ही कमाती है I
.वैज्ञानिक और चिकित्सा अनुसंधान
2003 में जनरल ऑफ क्लीनिकल, इन्वेस्टीगेशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार चिकित्सा, उपचार और स्वास्थ्य मंत्री को के आधुनिकरण के निर्धारण के लिए किए गए सर्वे में महिलाओं को कम आका जाता हैI ऐसे में महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए जरूरी आवश्यक नहीं ना कहीं ना रह जाए ते हैंI
. महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे
महिलाओं में आमतौर पर होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को ध्यान में रखते हुए डब्ल्यूएचओ जैसी शीर्ष संस्थाओं ने इन पर विशेष ध्यान देने की अपील की हैI महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े निम्नलिखित 10 मुद्दों पर भारत सहित दुनियाभर के देशों को ध्यान देने की आवश्यकता हैI
1. कैंसर
महिलाओं में दो प्रकार के कैंसर होने का खतरा सबसे अधिक रहता हैI प्रतिवर्ष के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि हर साल लगभग 500000 महिलाएं इन दोनों प्रकार के कैंसर के चलते मौत का शिकार हो जाती हैंI अगर इन कैंसर के लक्षण समय रहते पता चल जाए तो उनके ठीक होने की संभावना बढ़ जाती हैI ऐसा करने के लिए कई महत्वपूर्ण विषयों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत होती हैI
. स्तन और सवाई कल के कैंसर के बारे में जागरूकता
. कैंसर की स्क्रीनिंग और इलाज के विशेष रोकथाम और सस्ते इलाज
. ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के टीकाकरण की आसानी से उपलब्धता
. स्तन कैंसर में मास्टेक पिलानी से जुड़े मिर्ची को दूर करना
2 प्रजनान से संबंधित जानकारियां
प्रजनन और उससे जुड़े कई पहलुओं पर कई अध्ययन किए जा चुके हैंI प्रजनन प्रणाली एक जटिल प्रक्रिया हैI वैसे तो यूटीआई और बैक्टीरिया संक्रमण महिलाएं की करवा धारण शक्ति को प्रभावित नहीं करते हैंI हालांकि भविष्य में इसके कई दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैंI प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े तथ्यों को जानने और समझने के लिए निम्न विषयों पर ध्यान देना आवश्यक हैI
. प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में फैली अफवाह को दूर करना
. प्रजनन और उससे जुड़ी श्वास समस्याओं के बारे में लोगों को जागरूकता करना
. गर्भनिरोधक ओं के प्रयोग के बारे में जागरूकता और लोगों तक इसकी उपलब्धता को आसान बनानाI
बच्चों को यौन शिक्षा और उससे जुड़ी जानकारियां देनाI
3 संबंधित स्वास्थ्य जानकारियां
प्रसव पूर्व और प्रसव 72 देखभाल से ही शिशु के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ-साथ विश्व स्तर अरे मातृ मृत्यु की संख्या को कम किया जा सकता हैI इस संबंध में डॉक्टरों के साथ-साथ दोस्तों और परिवार के देखभाल की एक बड़ी भूमिका रहती हैI मातृ स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिएI
. प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद की देखभाल के बारे में उचित जानकारी
. गर्भावस्था से पहले और दूसरे दौरान स्क्रीनिंग परीक्षण और टीकाकरण के सस्ते इंतजाम
. पोषण व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल पर विशेष जोर
. गर्भपात की स्थिति में मां का विशेष शारीरिक ध्यान और ख्याल रखना
. लड़कियों के जन्म से जुड़े मिथ और पुरानी सोच को दूर करना
4 एच आई वी/ एड्स
जागरूकता की के अभाव में इस बीमारी ने दुनिया भर में तेजी से अपने पांव फैलाए हैंI ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV) के पहले मामले के सामने आने के तीन दशक बाद भी अब तक इसके खतरे को कम नहीं किया जा सका हैI युवा महिलाओं में इस संक्रमण का खतरा अधिक रहता हैI यौन शिक्षा कंडोम कि लोगों तक पहुंचना होना, साथ ही सुरक्षित सेक्स के बारे में जानकारियों के अभाव के चलते इस संक्रमण का फैलाव तेजी से हुआI लोगों को जागरूक कर इस संक्रमण को रोकने के व्यापक प्रयास किए जाने की आवश्यकता हैI
5. यौन संचारित रोग
एचआईवी/ एड्स और एच पी वी के अलावा, महिलाओं में गोनोरिया, प्लेयर माय डियर और सिफलिस जॉनसन संचालित रोगों के होने का खतरा होता हैI क्योंकि पुरुषों की तरह महिलाओं में इसके स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते हैं, इसलिए इसका आसानी से उपचार नहीं हो पाता हैI महिलाओं में एच एस सीटीआई से बचने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिएI
. यौन शिक्षा को जानकारी
. कंडोम गर्भनिरोधक के उपयोग में यौन संचारित रोगों को रोक जा सकता हैI
. कंडोम, गर्भनिरोधक कि आसानी से उपलब्धता को सुनिश्चित करनाI
6 महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को रोकना
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, 50 वर्ष से कम आयु वाली हर तीन में से एक महिला को परिचित या किसी अजनबी से यौन हिंसा का शिकार होना पड़ता हैI निशा चाहे शारीरिक हो या एवं प्राकृतिक की, इसका महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता हैI इसे दूर करने के लिए निम्न विषयों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत हैI
. बच्चों का यौन शिक्षा देंI पुरुषों और महिलाओं दोनों की को यौन हिंसा को रोकने के बारे में सूचित किया जाए जाना चाहिए
. प्रशासन और चिकित्सकों को महिलाओं के साथ होने वाले हिंसा के बारे में संवेदनशील हो बनानाI
7 मानसिक स्वास्थ्य
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक अवसाद चिंता और कई तरह की मानो देहित शिकायतें महिलाओं से अधिक देखने को मिलती हैं इसका कई बार मानसिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक असर देखने को मिलता है, जो जीवन को प्रभावित करता है यही कारण है कि महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती हैI
. मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों के बारे में बातचीत कर उसके निदान और उपचार के बारे में चिंतन करेंI
. इस तरह की समस्या से प्रभावित महिलाओं को सामाजिक स्तर पर सहायता प्रदान करें जिसे वह जल्द से जल्द उसे बाहर आ सकेI
8.गैर संचारी रोग
महिलाओं में गैर संचारी रोगों जैसे मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा आज तेजी से फैल रही बीमारियां हैंI इसकी रोकथाम के लिए निम्न बिंदुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता होती हैI
. इन बीमारियों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलानाI इससे लाने के लिए उचित विचारों के बारे में जानकारी देनाI
.लड़कियों और महिलाओं को उचित पोषण व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य के द्वारा जीवन शैली को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करनाI
. सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और दवाओं की लोगों तक आसान पहुंच को सुनिश्चित करनाI
9. कम उम्र में महिलाओं को होने वाली समस्याएं
आजकल कम उम्र से ही लड़कियों को जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैंI भविष्य में यह बड़ी बीमारियों का रूप भी ले सकती हैI उचित पोषण और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियों के अभाव में उन्हें कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैI एससी एसटी आई यूटीआई एचआईवी और कई तरह की प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य चुनौतियां उनके सामने खड़ी हो सकती हैI
. बालिकाओं और उनके स्वास्थ्य के बारे में सूचित करेंI
. माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वह लड़कियों को स्वस्थ और सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएंI
. विरासत संविधान की आसानी से पहुंचे उपलब्ध कराना
10. उम्र के साथ महिलाओं को होने वाली समस्याएं
विकासशील समाज में उम्र बढ़ने के साथ महिलाएं काम के लिए घर से बाहर जाना बंद कर देती हैंI उनके लिए पेंशन, स्वास्थ्य बीमा और इससे जुड़ी सेवाओं का लाभ लेना मुश्किल हो जाता हैI उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं में पुरानी गठिया, ओस्टियोपोरोसिस, मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और गुर्दे की बीमारी होने आम समस्या हैI स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिएI
. कम उम्र में ही लड़कियों को भविष्य की संभावित स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जागरूक करेंI ताकि वह पर्याप्त सुरक्षा और रोकथाम के इंतजाम कर सकेंI
. सस्ती और आसानी से सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की व्यवस्था की जानी चाहिएI
. बुढ़ापे के दौरान महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए उनके खानपान और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर माहौल देंI
