ककड़ोंडा (Kakronda / करोंदा / करौंदा) एक छोटा हरा या लाल रंग का खट्टा-मीठा फल होता है। इसे आमतौर पर गर्मी और बरसात के मौसम में खेतों या झाड़ियों में पाया जाता है। यह काँटेदार पौधा होता है, जिस पर छोटे-छोटे अंगूर जैसे फल लगते हैं। करोंदे का स्वाद हल्का खट्टा और कसैला होता है, इसलिए इसका अचार, मुरब्बा और सब्ज़ी बहुत स्वादिष्ट बनती है
अब मैं आपको बताता हूँ ककड़ोंडा (करोंदा) का स्वादिष्ट अचार बनाने की विधि स्टेप-बाय-स्टेप —
🍴 सामग्री (करोंदा अचार के लिए)
करोंदा (ककड़ोंडा) – 500 ग्राम (अच्छे हरे और सख़्त)
राई (सरसों दाना पिसा हुआ) – 2 बड़े चम्मच
मेथी दाना – 1 छोटा चम्मच (हल्का भुना और दरदरा पिसा)
सौंफ – 1 बड़ा चम्मच (दरदरा पिसा)
हल्दी – 1 छोटा चम्मच
लाल मिर्च पाउडर – 2 छोटे चम्मच (स्वाद अनुसार)
नमक – 2–3 छोटे चम्मच (स्वाद अनुसार)
हींग – 1 चुटकी
सरसों का तेल – 150 ml
👩🍳 बनाने की विधि (स्टेप बाय स्टेप)
करोंदे धोना और काटना
करोंदों को अच्छे से धोकर सूखा लें।
उन्हें बीच से लंबाई में 2 टुकड़े कर लें (बीज चाहें तो निकाल सकते हैं, वरना रहने दें)।
करोंदों को हल्का उबालना (वैकल्पिक लेकिन स्वादिष्ट)
1/2 लीटर पानी में 1 चम्मच नमक डालकर उबालें।
उसमें करोंदे डालें और 2–3 मिनट हल्का उबाल लें।
फिर पानी छानकर करोंदे कपड़े पर सुखा लें।
👉 इससे करोंदे नरम और कम कसैले हो जाते हैं।
मसाला तैयार करना
एक बाउल में पिसी राई, मेथी, सौंफ, हल्दी, लाल मिर्च पाउडर, नमक और हींग मिला लें।
करोंदों को इस मसाले में डालकर अच्छे से मिलाएँ ताकि मसाला हर टुकड़े पर चिपक जाए।
तेल का तड़का
सरसों का तेल कड़ाही में गरम करें।
जब तेल धुआँ छोड़ने लगे तो आंच बंद कर दें और तेल ठंडा होने दें।
ठंडा तेल करोंदा + मसाले वाले मिश्रण पर डालकर अच्छे से मिलाएँ।
जार में भरना
एकदम साफ और सूखा काँच का जार लें।
उसमें अचार भर दें और ऊपर से इतना तेल डालें कि करोंदे पूरी तरह तेल में डूब जाएँ।
धूप में रखना
जार को 3–4 दिन तक रोज़ 2–3 घंटे धूप में रखें।
बीच-बीच में जार हिलाते रहें ताकि मसाला बराबर मिले।
👉 4–5 दिन बाद ककड़ोंडा का स्वादिष्ट अचार खाने के लिए तैयार हो जाएगा।
🍛 स्वाद और उपयोग
यह अचार खट्टा-तीखा होता है और दाल-चावल, पराठे, पूड़ी या रोटी के साथ बहुत मज़ेदार लगता है।
तेल ठीक से डालने पर यह 6–8 महीने तक भी सुरक्षित रहता है।
क्या आप चाहेंगे कि मैं आपको इसका झटपट (तुरंत खाने लायक) करोंदा अचार भी बता दूँ, जो बस 15–20 मिनट में बनकर तैयार हो जाता है?
ककड़ोंडा (करोंदा / करौंदा / Kakronda) केवल स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर है। आयुर्वेद और घरेलू नुस्खों में इसका बहुत महत्व है।
🌿 करोंदे (ककड़ोंडा) के फायदे और कौन-कौन सी बीमारियों में लाभकारी
1. खून की कमी (एनीमिया)
करोंदा में भरपूर आयरन होता है।
यह शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाता है और खून की कमी दूर करता है।
2. पाचन शक्ति सुधारता है
करोंदा खट्टा-मीठा और फाइबर से भरपूर होता है।
यह अपच, कब्ज और गैस जैसी समस्याओं में राहत देता है।
3. हृदय (दिल) के लिए फायदेमंद
इसमें मौजूद पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट दिल की धड़कन को सामान्य रखते हैं और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में मदद करते हैं।
दिल की नाड़ियों में रुकावट (blockage) बनने का खतरा कम करता है।
4. डायबिटीज में लाभकारी
करोंदे का सेवन शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है।
इसके फल और जड़ें आयुर्वेद में मधुमेह के इलाज में काम आती हैं।
5. जोड़ों का दर्द और सूजन
इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिससे गठिया और जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
6. त्वचा और बालों के लिए
इसमें विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं।
यह त्वचा को चमकदार बनाता है और बालों को झड़ने से रोकता है।
7. लिवर और पित्त संबंधी रोग
करोंदा लिवर को मज़बूत बनाता है और पीलिया (जॉन्डिस) जैसी बीमारियों में फायदेमंद माना जाता है।
पित्त दोष को संतुलित करता है।
8. रोग-प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी)
विटामिन C और अन्य खनिज शरीर को संक्रमण से बचाते हैं।
बार-बार होने वाली सर्दी-ज़ुकाम में उपयोगी है।
9. मुँह और मसूड़ों की समस्या
करोंदा चबाने से मसूड़ों की सूजन और खून आना ठीक होता है।
⚠️ सावधानियाँ
करोंदा का सेवन खाली पेट ज़्यादा मात्रा में न करें, इससे अम्ल (एसिडिटी) बढ़ सकती है।
जिनको पेट में अल्सर या बहुत तेज़ गैस की समस्या है, वे सीमित मात्रा में लें।
गर्भवती महिलाओं को बिना डॉक्टर की सलाह अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए।
👉 यानी करोंदा केवल स्वाद के लिए नहीं, बल्कि एनीमिया, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कब्ज, पीलिया और जोड़ो के दर्द जैसी कई समस्याओं में प्राकृतिक औषधि की तरह काम करता है।
क्या आप चाहेंगे कि मैं आपको इसके पत्ते, जड़ और फल – तीनों के औषधीय उपयोग भी विस्तार से बताऊँ?
